यह एकांकी लोकगीत होता है जो मैथिली संस्कृति का प्रतिबिंब है. इसमें अनगिनत भावना जो विवरण मिलता है.
यह गीत बुआ और बापू के प्यार को होता है. इस गीत में हर इंसान की कल्पना को बेहद खूबसूरती से हैं.
यह लोकगीत अलग-अलग उम्र के लोगों को आनंद देता है.
मैथिली पारंपरिक विवाह गीत: अलबेला रघुवर आयो जी
यह बहुत पुरानी विशेष मैथिली सामाजिक गीत है जो समय के से संबंधित होता है। इस गीत अक्सर पार्टी में गाया जाता था जबकि कन्या का घर नई गृहस्थी में जा रही थी। उसकी गीतों में बातें होती हैं जो दूसरे की परिवार के बारे में बताती हैं। उसके साथ|
जयश्री मिश्र का अलबेला रघुवर आयो जी
उल्लेखनीय रचना आपके सामने लाता है जयश्री मिश्र का अलबेला रघुवर आयो जी. यह महान गायन आपकी भावनाएं को आपके साथ जुड़ता है. यह गूढ़ भजन आपके हृदय को शांत करता है.
मिथिला की परंपरा में अलबेला रघुवर आयो जी
पारंपरिक बिहार में, अलबेला रघुवर आयो जी प्रसिद्ध देवता हैं। उनका उत्पत्ति बिहार के क्षेत्र में हुआ था। लोगों उन्हें सम्मान करते हैं और उनकी शक्ति से समृद्धि प्राप्त करने की कामना करते हैं। अलबेला रघुवर आयो जी का विशेष इतिहास बिहार की परंपरा में गहराई से जुड़ा है।
उनके बारे में गीत पीढ़ी दर पीढ़ी {संरक्षित जाते हैं।
वेद में विवाहित होने का त्यौहार
विवाह के पर्व में बजने वाला अलबेला रघुवर आयो जी, यह सुनकर हर किसी की हृदय कांप उठा. read more यह अलबेला एक ऐसा संगीत है जो प्रेम के गीतों से भरपूर होता है. जब यह रघुवर आयो जी, अपनी आवाज से, तो पूरा मंडप एक अलग ही विश्राम से भर जाता है.
{यह अलबेला रघुवर आयो जी की विशिष्टता है यह एक भाव व्यक्त करता है. हर नोट में विवाह के सुकून का पता चलता है.
अलबेला रघुवर आये जी
यह एक मैथिली लोकगीत यात्रा है जो हज़ारों वर्षों से जनमानस में गूंजता रहा है। यह कहानी विश्वासघात और प्रेम की कहानियों से सजाया हुआ है। कवियों ने इस लय को असाधारण बनाया है और आजकल इसे गुनगुनाना एक प्रसन्नतापूर्ण अनुभव है।
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